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डी.बी. पाटिल कौन हैं: नवी मुंबई एयरपोर्ट के नामकरण के पीछे की कहानी

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परिचय

नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Navi Mumbai International Airport) भारत के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की है कि इस एयरपोर्ट का नाम स्थानीय नेता और किसान संघर्ष के प्रतीक डी.बी. पाटिल के नाम पर रखा जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर डी.बी. पाटिल कौन थे और उनका योगदान इतना बड़ा क्यों माना जाता है?

डी.बी. पाटिल कौन थे?

डी.बी. पाटिल (डगडूभाऊ पाटिल) महाराष्ट्र के एक लोकप्रिय किसान नेता और समाजसेवी थे। वे रायगढ़ और ठाणे जिले में किसानों और भूमिपुत्रों (स्थानीय लोगों) के अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए जाने जाते हैं। 1970 और 1980 के दशक में जब जमीन अधिग्रहण और विकास परियोजनाओं के कारण हजारों किसानों की जमीन छिन रही थी, तब उन्होंने किसानों की आवाज़ उठाई और उन्हें न्याय दिलाने का काम किया।

उनका संघर्ष

  • जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन: उन्होंने बड़े उद्योगों और सरकारी परियोजनाओं के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण का पुरजोर विरोध किया।
  • किसानों के पुनर्वास की मांग: वे इस बात पर अडिग थे कि जिन किसानों की जमीन ली जाएगी, उन्हें सही मुआवजा और पुनर्वास पैकेज मिलना चाहिए।
  • गांव-गांव में जनजागरण: उन्होंने ग्रामीणों को संगठित किया और उन्हें कानूनी व सामाजिक अधिकारों के बारे में जागरूक किया।

उनकी इन्हीं पहलों के कारण उन्हें “किसान नेता” और “भूमिपुत्रों के मसीहा” कहा जाने लगा।

नवी मुंबई एयरपोर्ट और स्थानीय जनता

नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना में हजारों हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ है। इस प्रक्रिया में कई गांवों के लोगों को अपनी पैतृक जमीन छोड़नी पड़ी। स्थानीय जनता और उनके नेता लंबे समय से यह मांग कर रहे थे कि एयरपोर्ट का नाम उस नेता के नाम पर रखा जाए जिसने किसानों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। इस वजह से डी.बी. पाटिल का नाम सबसे आगे आया।

राजनीतिक और सामाजिक महत्व

एयरपोर्ट का नाम डी.बी. पाटिल के नाम पर रखना केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह स्थानीय किसानों, मछुआरों और भूमिपुत्रों के संघर्ष को मान्यता देना है। इससे नई पीढ़ी को भी यह संदेश मिलेगा कि विकास परियोजनाओं में स्थानीय लोगों की भूमिका और त्याग को भुलाया नहीं जा सकता।

निष्कर्ष

डी.बी. पाटिल केवल एक नाम नहीं, बल्कि किसानों के संघर्ष और आत्मसम्मान का प्रतीक हैं। नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखना इस बात का प्रमाण है कि विकास के रास्ते पर चलते हुए भी हमें अपने इतिहास और संघर्षों को याद रखना चाहिए। यह कदम न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायी है।

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