भारत और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से रणनीतिक, व्यापारिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में 2025 में इन रिश्तों में कई नए मोड़ आए हैं। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत दोस्ताना संबंध बने हुए हैं, वहीं दूसरी ओर ट्रेड वीजा, टैरिफ और ऊर्जा नीतियों पर दोनों देशों में तनाव भी दिखाई दे रहा है।
1. अमेरिका द्वारा भारत पर भारी टैरिफ
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 50% तक आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया है। इसका असर भारतीय उद्योगों जैसे जेम्स और ज्वेलरी, टेक्सटाइल, कृषि उत्पाद पर गहराई से पड़ रहा है। अमेरिका का कहना है कि भारत खुद अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ऊँचे टैरिफ लगाता है, इसलिए उसे “न्यायपूर्ण व्यापार” सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाना पड़ा।
2. भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इसे अनुचित और अत्यधिक दबाव डालने वाला कदम बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से “स्वदेशी उत्पादों” को बढ़ावा देने की अपील की है। इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय देशों और अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत शुरू की है ताकि समाधान निकाला जा सके।
3. ऊर्जा नीति और रूस से तेल आयात
ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि भारत को अमेरिकी तेल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। वहीं भारत का मानना है कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विविध आपूर्ति बनाए रखना ज़रूरी है। हालाँकि, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया है कि भारत अमेरिका से तेल आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
4. H-1B वीज़ा शुल्क और भारतीय पेशेवर
अमेरिका ने हाल ही में H-1B वीज़ा आवेदन पर सालाना 100,000 डॉलर शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। इसका सीधा असर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा जो बड़ी संख्या में अमेरिका काम करने जाते हैं। इससे भारतीय तकनीकी उद्योग को नुकसान पहुँच सकता है।
5. भारत-अमेरिका व्यापार आँकड़े
- भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 2024-25 में 41 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
- भारतीय निर्यात में 11.6% की वृद्धि हुई जबकि अमेरिका से आयात केवल 7.4% बढ़ा।
- यह असंतुलन ट्रंप की नाराज़गी का बड़ा कारण बना।
6. कूटनीतिक प्रयास
तनाव के बावजूद दोनों देशों के मंत्री लगातार मुलाकात कर रहे हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मुलाकात हुई, जहाँ दोनों ने बातचीत जारी रखने पर जोर दिया।
7. आगे का रास्ता
भविष्य में भारत-अमेरिका रिश्ते इन मुद्दों पर टिके रहेंगे:
- व्यापार समझौता: क्या भारत टैरिफ घटाने पर तैयार होगा?
- ऊर्जा नीति: रूस से तेल खरीद पर अमेरिका का दबाव जारी रहेगा।
- वीज़ा पॉलिसी: भारतीय पेशेवरों पर असर और आईटी सेक्टर की चुनौतियाँ।
- रणनीतिक संतुलन: भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखेगा या अमेरिकी दबाव मानेगा?
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत मित्रता के बावजूद, व्यापार और ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश आपसी समझौते से समाधान निकाल पाते हैं या यह टकराव और गहराता है। भारत के लिए चुनौती है अपनी आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखना, वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी शर्तों के अनुसार चले।
यह ब्लॉग भारत-अमेरिका संबंधों पर वर्तमान परिस्थितियों का सार प्रस्तुत करता है।