भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है और यहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। फिर भी हर साल लाखों भारतीय भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों की नागरिकता ले रहे हैं। यह प्रवृत्ति पिछले कुछ दशकों से लगातार बढ़ रही है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इस ब्लॉग में हम विस्तार से उन सभी कारणों पर चर्चा करेंगे जिनकी वजह से भारतीय लोग विदेशों को स्थायी घर बना रहे हैं।
1. बेहतर नौकरी और करियर के अवसर
भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरियां नहीं मिलतीं और अगर मिलती भी हैं तो पगार बहुत कम होता है। इसके विपरीत अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और यूरोप जैसे देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयों को आसानी से अच्छे पैकेज की नौकरी मिल जाती है। आईटी, मेडिकल, फाइनेंस, इंजीनियरिंग, रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में career growth की संभावनाएं कहीं अधिक हैं।
2. उच्च शिक्षा और रिसर्च सुविधाएं
भारत में कुछ अच्छे संस्थान (IIT, IIM, AIIMS) जरूर हैं, लेकिन उनकी संख्या सीमित है और प्रवेश कठिन। वहीं विदेशों में हजारों विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय हैं जो बेहतर रिसर्च सुविधा, प्रैक्टिकल बेस्ड एजुकेशन और आधुनिक लैब्स उपलब्ध कराते हैं। भारतीय विद्यार्थी वहां पढ़ाई के बाद अक्सर नौकरी पा जाते हैं और फिर नागरिकता ले लेते हैं।
3. जीवनशैली और सुविधाएं
विदेशों में जीवनशैली भारत की तुलना में कहीं ज्यादा आरामदायक और व्यवस्थित मानी जाती है। वहां की सड़कें, ट्रैफिक सिस्टम, हेल्थकेयर, साफ-सफाई और कानून व्यवस्था लोगों को आकर्षित करती है। भारत के महानगरों में प्रदूषण, भीड़ और असमानता बहुत अधिक है, इसलिए लोग बेहतर जीवन की तलाश में विदेशों की नागरिकता अपनाते हैं।
4. स्थिरता और सुरक्षा
विदेशी देशों में राजनीतिक स्थिरता और कानून का पालन सख्ती से होता है। वहां अपराध दर भारत की तुलना में काफी कम है। आम नागरिक को सुरक्षित और स्थिर माहौल मिलता है। इसके उलट भारत में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और अपराध की वजह से कई लोग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
5. सामाजिक सुरक्षा और हेल्थकेयर
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सरकार नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी, बेरोजगारी भत्ता, मुफ्त शिक्षा और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं देती है। वहीं भारत में अभी भी ऐसी सुविधाएं सीमित और असमान रूप से उपलब्ध हैं। यही कारण है कि भारतीय मध्यम वर्ग और प्रोफेशनल्स विदेशों की नागरिकता लेने में रुचि दिखाते हैं।
6. व्यवसाय और आर्थिक अवसर
विदेशों में उद्यमिता और स्टार्टअप्स के लिए बेहतर माहौल मिलता है। कम ब्यूरोक्रेसी, कर में छूट, आसान लोन और निवेश के अवसर वहां मौजूद हैं। इसके मुकाबले भारत में लालफीताशाही और टैक्स संबंधी समस्याएं अधिक हैं। इसलिए भारतीय उद्यमी विदेश जाकर अपना बिज़नेस शुरू करना पसंद करते हैं और वहां की नागरिकता ग्रहण करते हैं।
7. परिवार और पीढ़ीगत स्थलांतरण
बहुत से भारतीय परिवार पहले से ही विदेश में बसे हुए हैं। एक सदस्य नौकरी या पढ़ाई के लिए जाता है, फिर धीरे-धीरे पूरा परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है। फैमिली स्पॉन्सरशिप के तहत नागरिकता मिलना आसान हो जाता है। इस तरह कई पीढ़ियां भारत छोड़कर विदेशों में बस जाती हैं।
8. बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को जीवन में सर्वश्रेष्ठ अवसर मिलें। विदेशों में बच्चों को बेहतर शिक्षा, सुरक्षित वातावरण, अच्छे करियर के अवसर और स्वतंत्र जीवनशैली मिलती है। इसी कारण माता-पिता भारत छोड़कर विदेशी नागरिकता अपनाते हैं।
9. सामाजिक और राजनीतिक कारण
भारत में जातिवाद, धार्मिक तनाव, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता जैसी समस्याएं हैं। कुछ लोग इन परिस्थितियों से परेशान होकर ऐसे देशों की नागरिकता ले लेते हैं जहां अधिक समानता और स्वतंत्रता महसूस होती है।
10. अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और पासपोर्ट की ताकत
कई भारतीय मानते हैं कि अमेरिकी, कनाडाई या यूरोपीय पासपोर्ट से उन्हें दुनिया भर में वीजा-फ्री ट्रैवल और व्यवसायिक अवसर आसानी से मिलते हैं। यह एक तरह की अंतरराष्ट्रीय पहचान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन जाता है।
11. ब्रेन ड्रेन की समस्या
प्रतिभाशाली भारतीय – डॉक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, रिसर्चर – विदेश जाकर वहां की नागरिकता ले रहे हैं। इसे ही ब्रेन ड्रेन कहा जाता है। भारत की प्रतिभा विदेश जाकर वहां की प्रगति में योगदान दे रही है, जबकि अपने देश की विकास गति धीमी हो रही है।
निष्कर्ष
भारतीयों के विदेश की नागरिकता लेने के पीछे कई कारण हैं – नौकरी और करियर की तलाश, उच्च शिक्षा, बेहतर जीवनशैली, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, बच्चों का भविष्य और अंतरराष्ट्रीय पहचान। यह प्रवृत्ति भारत के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। यदि भारत में नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो यह ब्रेन ड्रेन रुक सकता है और भारतीय अपने देश में ही एक उज्ज्वल भविष्य देख पाएंगे।