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मेक इन इंडिया – भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने की पहल

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मेक इन इंडिया (Make in India) अभियान की शुरुआत भारत सरकार ने 25 सितंबर 2014 को की थी। इसका उद्देश्य देश में विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र को बढ़ावा देना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इस अभियान का मुख्य नारा है – “Zero Defect, Zero Effect”, यानी उत्पाद गुणवत्ता में कोई कमी न हो और पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

मेक इन इंडिया क्या है?

मेक इन इंडिया एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका मकसद निवेशकों को आकर्षित करना और भारत को विश्व का सबसे पसंदीदा विनिर्माण गंतव्य बनाना है। इस योजना के जरिए सरकार ने 25 प्रमुख क्षेत्रों को चिन्हित किया है जिनमें विनिर्माण और निवेश की असीम संभावनाएँ हैं।

मेक इन इंडिया के उद्देश्य

प्राथमिकता वाले क्षेत्र

इस योजना में 25 प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जैसे:

मेक इन इंडिया के लाभ

  1. विदेशी निवेश में वृद्धि: इस अभियान से FDI प्रवाह में काफी बढ़ोतरी हुई।
  2. रोजगार सृजन: लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिले।
  3. उद्योग विकास: छोटे और बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन मिला।
  4. निर्यात में बढ़ोतरी: भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और ब्रांडिंग को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली।
  5. आर्थिक प्रगति: विनिर्माण क्षेत्र का GDP में योगदान लगातार बढ़ रहा है।

चुनौतियाँ

मेक इन इंडिया का प्रभाव

इस अभियान से भारत में FDI प्रवाह में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। रक्षा, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आया है। भारत अब वैश्विक निवेशकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन चुका है और यह अभियान आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ है।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत

कोविड-19 महामारी के बाद भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा दिया, जिसमें मेक इन इंडिया की अहम भूमिका रही। इसका मकसद विदेशी उत्पादों पर निर्भरता घटाना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।

निष्कर्ष

मेक इन इंडिया अभियान भारत को विश्व पटल पर एक मजबूत विनिर्माण शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। यदि चुनौतियों का सही समाधान किया गया तो भारत निकट भविष्य में विनिर्माण और निवेश का वैश्विक केंद्र बन सकता है।
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