कफ सिरप—एक आम घरेलू दवा—जब अशुद्ध या ज़हर मिले तो यह केवल ‘गलत दवा’ नहीं रह जाती; यह परिवारों की ज़िंदगियाँ तबाह कर सकती है। इस लेख में हम समझेंगे कि जहरीले कफ सिरप कैसे बनते हैं, किन घटकों से खतरा होता है, हाल की घटनाओं से क्या सबक मिले और आने वाले समय में क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
इतिहास और वैश्विक संदर्भ
हाल के वर्षों में कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ सामने आईं — गाम्बिया और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों में भारत निर्मित सिरपों के कारण बच्चों की मौतें रिपोर्ट हुईं। जांच में Diethylene Glycol (DEG) और Ethylene Glycol जैसे रसायन पाए गए — जो इंसानी शरीर के लिए अत्यन्त विषैले हैं।
भारत में हालिया घटनाएँ
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में कई बच्चों की मौतें जहरीले कफ सिरप से जुड़ी पाई गईं। जांच में यह सिद्ध हुआ कि कुछ सिरपों में DEG की मात्रा सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक थी। नतीजतन, सरकार ने इन सिरपों को बैन कर दिया और निर्माता कंपनी पर कार्रवाई की।
कौन-सा रसायन खतरनाक है?
DEG और Ethylene Glycol औद्योगिक उपयोग के लिए होते हैं। जब ये दवाओं में मिल जाते हैं तो गुर्दे की विफलता, उल्टी, बेहोशी और मृत्यु तक का कारण बन सकते हैं।
कैसे होती है मिलावट?
- ग़लत कच्चा माल या सस्ता औद्योगिक solvent का उपयोग
- क्वालिटी कंट्रोल की कमी
- सप्लाई-चेन में मिलावट
- सरकारी निगरानी की कमी
लक्षण
- कम पेशाब आना या बिल्कुल बंद हो जाना
- लगातार उल्टी और दस्त
- बेहोशी या असामान्य नींद
- साँस लेने में दिक्कत
सरकारी कार्रवाई
सरकारी एजेंसियों ने संबंधित सिरपों पर बैन लगाया, कंपनी का लाइसेंस निलंबित किया और जिम्मेदार लोगों पर आपराधिक केस दर्ज किए। इसके साथ ही सभी तरल दवाओं के सैंपल की जाँच शुरू कर दी गई है।
सीख और सुझाव
- सिर्फ भरोसेमंद ब्रांड की दवाएँ ही इस्तेमाल करें।
- बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
- सरकारी निगरानी को और सख्त किया जाए।
- कंपनियाँ अपने कच्चे माल और रिपोर्ट पारदर्शी रखें।
- लक्षण दिखते ही तुरंत अस्पताल जाएँ।
निष्कर्ष
जहरीले कफ सिरप की घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि दवाओं की गुणवत्ता में थोड़ी सी लापरवाही भी कितनी बड़ी त्रासदी ला सकती है। उपभोक्ता सतर्क रहें, सरकार और कंपनियाँ जिम्मेदार बनें — तभी बच्चों की जानें सुरक्षित रहेंगी।