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महात्मा गांधी: राष्ट्रपिता और अहिंसा के प्रेरक

परिचय

मोहनदास करमचंद गांधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948) भारत के राष्ट्रपिता, स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और अहिंसा के सबसे बड़े प्रवक्ता थे।
उन्होंने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन चलाकर ब्रिटिश शासन से भारत को आज़ादी दिलाई।
गांधीजी का जीवन न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गांधीजी का जन्म पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक और करुणामयी थीं।
बचपन से ही गांधीजी में सत्य और ईमानदारी की भावना थी।
उन्होंने राजकोट में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में लंदन जाकर कानून की पढ़ाई की।
1891 में वे वकील बनकर भारत लौटे।

दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष

1893 में गांधीजी एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उन्होंने रंगभेद और भारतीयों के प्रति भेदभाव देखा।
यहीं उन्होंने पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया और अहिंसा के माध्यम से अन्याय का विरोध किया।
यह अनुभव उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

भारत वापसी और स्वतंत्रता आंदोलन

1915 में गांधीजी भारत लौटे और भारतीय राजनीति में सक्रिय हुए।
उन्होंने चंपारण सत्याग्रह (1917) से किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष की शुरुआत की।
इसके बाद उन्होंने खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन (1920), नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
इन आंदोलनों ने भारतीय जनता में आत्मविश्वास और एकता की भावना जगाई।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत

  • सत्य (Truth): गांधीजी का मानना था कि सत्य ही ईश्वर है और जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य सत्य की खोज है।
  • अहिंसा (Non-Violence): वे मानते थे कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि नया संघर्ष पैदा करती है।
  • सत्याग्रह (Satyagraha): अन्याय के विरुद्ध शांतिपूर्ण विरोध का यह उनका अनोखा हथियार था।
  • सादा जीवन, उच्च विचार: उन्होंने जीवनभर सादगी, आत्मनिर्भरता और सेवा को प्राथमिकता दी।

महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम को अहिंसक आंदोलन में बदला।
  • सत्य और नैतिकता के आधार पर राजनीति की नई दिशा दी।
  • सामाजिक समानता, स्वदेशी और ग्राम स्वराज की अवधारणा को बढ़ावा दिया।
  • विश्वभर में मानवता, शांति और नैतिकता का प्रतीक बने।

गांधीजी के विचार और उद्धरण

“आप वह परिवर्तन बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”

“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”

“सत्य और अहिंसा ही मानवता का वास्तविक मार्ग है।”

गांधीजी का प्रभाव और विरासत

गांधीजी के सिद्धांतों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई बल्कि पूरी दुनिया में स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के आंदोलनों को प्रेरित किया।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, और दलाई लामा जैसे नेताओं ने उनके विचारों को अपनाया।
2 अक्टूबर को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हत्या और अमरता

30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की।
उनकी मृत्यु के बाद पूरा राष्ट्र शोक में डूब गया।
लेकिन उनकी विचारधारा आज भी जीवित है — हर आंदोलन, हर समाज सुधार और हर नैतिक संघर्ष में।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी जी का जीवन और दर्शन हमें सिखाता है कि सच्चा परिवर्तन हिंसा से नहीं, बल्कि धैर्य, सत्य और अहिंसा से आता है।
वे केवल भारत के नहीं, बल्कि पूरी मानवता के नेता हैं।
उनका नाम हमेशा शांति, समानता और सत्य के प्रतीक के रूप में अमर रहेगा।

“मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।” – महात्मा गांधी

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