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करवा चौथ व्रत 2025: महत्व, तिथि, कथा और पूजन विधि

करवा चौथ 2025 की तिथि और मुहूर्त

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य सुख के लिए रखा जाता है।

  • तिथि: 9 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर 2025, सुबह 3:15 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, सुबह 1:40 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 9 अक्टूबर 2025, शाम 5:55 बजे से 7:10 बजे तक
  • चंद्रोदय समय: रात 8:45 बजे

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ व्रत हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। इस दिन विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास होता है।

करवा चौथ पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।

करवा चौथ व्रत कथा

करवा चौथ की कथा ‘वीरावती’ नामक रानी से जुड़ी है। कथा के अनुसार, रानी ने पहली बार यह व्रत रखा था। पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर उन्होंने यह व्रत किया लेकिन भूख-प्यास सहन न कर पाने की वजह से उन्होंने जल्दी चंद्रमा को देख लिया। उनके भाइयों ने छल से पेड़ के नीचे दीपक जलाकर चंद्रमा जैसा दृश्य दिखा दिया। जैसे ही रानी ने व्रत तोड़ा, राजा बीमार पड़ गए। तब देवी पार्वती ने दर्शन देकर उन्हें सही विधि से व्रत रखने का आदेश दिया। जब वीरावती ने सही विधि से व्रत रखा तो उनके पति की आयु लंबी हुई।

तभी से करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए रखा जाने लगा।

करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि विशेष होती है। आइए इसे क्रमवार समझें:

  1. सुबह सूर्योदय से पहले सर्गी (सास द्वारा दी गई भोजन सामग्री) का सेवन करें।
  2. इसके बाद दिनभर व्रत रखें और जल तक ग्रहण न करें।
  3. संध्या के समय महिलाएँ सज-धजकर लाल या पीले वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें।
  4. करवा (मिट्टी का घड़ा), दीपक, चावल, रोली, मिठाई, और पानी का लोटा तैयार करें।
  5. गणेश जी, माता पार्वती, भगवान शिव और चंद्रमा की पूजा करें।
  6. करवा चौथ की कथा सुनें और अन्य महिलाओं के साथ थाली घुमाएँ।
  7. चंद्रोदय के बाद छलनी से चंद्रमा को देखें और पति को जल अर्पित करें।
  8. पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

करवा चौथ व्रत को यदि वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह शरीर के लिए भी लाभकारी है। दिनभर उपवास रखने से शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया तेज होती है। साथ ही, पति-पत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव और विश्वास का रिश्ता और मजबूत होता है।

करवा चौथ 2025 की विशेषता

इस वर्ष करवा चौथ गुरुवार के दिन आ रहा है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस बार शुभ योग और चंद्रोदय का समय महिलाओं के लिए अत्यंत मंगलकारी रहेगा।

निष्कर्ष: करवा चौथ का व्रत केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच रिश्ते को मजबूत बनाने का भी पर्व है। 2025 में यह व्रत 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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